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सीतामढ़ी में HIV मरीज़ों की संख्या को लेकर फैलाई जा रही ‘भ्रामक ख़बर’||बिहार एड्स नियंत्रण समिति ने जारी किए वास्तविक आँकड़े

अमृत विहार न्यूज

गौतम उपाध्याय

पटना/सीतामढ़ी।सीतामढ़ी जिले में एचआईवी संक्रमित मरीजों की संख्या को लेकर कुछ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और समाचार पत्रों में चल रही ख़बरों को बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति (BSACS), पटना ने तथ्य से परे और भ्रम उत्पन्न करने वाला बताते हुए उसका खंडन किया है। समिति ने स्पष्ट किया है कि ख़बरों में बताया जा रहा मरीजों का आँकड़ा भ्रामक है, जबकि वास्तविक स्थिति नियंत्रण में है।

वास्तविक आँकड़ों का स्पष्टीकरण

समिति द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि सीतामढ़ी जिले में एचआईवी जांच (ICTC) की शुरुआत वर्ष 2005 में की गई थी, जबकि एंटी रेट्रो वायरल थेरेपी (ART) चिकित्सा पद्धति 1 दिसंबर 2012 को शुरू हुई थी।

समेकित रजिस्ट्रेशन: वर्ष 2005 से लेकर अब तक (20 वर्षों में) कुल लगभग 6,900 एचआईवी संक्रमित मरीजों का रजिस्ट्रेशन हुआ है।

सक्रिय मरीज़: वर्तमान में सीतामढ़ी जिले के ART केंद्र में 4,958 मरीज़ नियमित रूप से ARV दवाइयों का सेवन कर रहे हैं।

मौजूदा मरीज़ों की वृद्धि पर खंडन: समिति ने इस दावे का खंडन किया कि जिले में प्रतिदिन मरीजों की संख्या बढ़ रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि दैनिक रूप से जो लोग अस्पताल पहुँचते हैं, वे पुराने रजिस्टर्ड मरीज़ हैं जो दवाइयाँ लेने या परामर्श लेने आते हैं।

संक्रमित बच्चे: बच्चों में संक्रमण की संख्या भी शुरू से अब तक मात्र 188 है, और ये केवल वे बच्चे हैं जिनके माता-पिता पहले से संक्रमित हैं। इन बच्चों को इलाज के साथ-साथ परवरिश सामाजिक सुरक्षा योजना के माध्यम से वित्तीय सहायता भी दी जा रही है।

समिति ने बताया कि वर्ष 2025-26 में अक्टूबर माह तक 200 नए एचआईवी मरीज चिन्हित किए गए हैं, जो पुराने समेकित आँकड़े (6900) से काफी कम है।

समाज से अपील: भेदभाव न करें, जांच कराएं

बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति ने राज्य के नागरिकों से अपील की है कि एचआईवी संक्रमित मरीजों के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव न करें। समिति ने जोर दिया कि यह संक्रमण सामान्य संपर्क से नहीं फैलता।इसके साथ ही, समिति ने नागरिकों से अधिक से अधिक संख्या में एचआईवी की जांच कराने का आग्रह किया है, विशेषकर गर्भवती माताओं, यौन रोगी, यक्ष्मा रोगी और उच्च जोखिम समूह के स्त्री एवं पुरुषों को। समिति ने कहा है कि मरीजों के प्रति संवेदनशीलता, सम्मान और सहयोग ही समाज की वास्तविक जिम्मेदारी है।

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