अमृत विहार न्यूज

अयोध्या,उत्तरप्रदेश
अयोध्या। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि आने वाले दस वर्षों में भारत को “गुलामी की मानसिकता” से पूरी तरह मुक्त करने का संकल्प देश को लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि 1835 में मैकाले ने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए थे और 2035 में उस घटना के 200 वर्ष पूरे होने से पहले भारत को पूरी तरह आत्मनिर्भर मानसिकता अपनानी होगी।प्रधानमंत्री ने कहा, “हमें आज़ादी तो मिली, लेकिन हीन भावना से मुक्ति नहीं मिली। विदेशी व्यवस्था को श्रेष्ठ मानने की आदत ने हमें अपनी जड़ों से दूर किया।” उन्होंने तमिलनाडु के उत्तिरमेरूर और भगवान बसवन्ना के ‘अनुभव मंटपा’ जैसे उदाहरण देते हुए कहा कि भारत में लोकतांत्रिक परंपराएं हजारों वर्ष पुरानी हैं।मोदी ने बताया कि भारत अब अपने प्रतीकों से प्रेरित हो रहा है। उन्होंने नौसेना के ध्वज परिवर्तन का उल्लेख करते हुए कहा, “यह केवल डिज़ाइन में बदलाव नहीं, मानसिकता बदलने का क्षण था। अब भारत अपनी शक्ति और अपनी विरासत से परिभाषित होगा।”अयोध्या के विकास पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि रामलला मंदिर परिसर और शहर का कायाकल्प प्रगति पर है। “त्रेता युग की अयोध्या ने मानवता को नीति दी थी, अब यह 21वीं सदी में विकास का नया मॉडल दे रही है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब तक लगभग 45 करोड़ श्रद्धालु दर्शन के लिए अयोध्या पहुंच चुके हैं, जिससे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में व्यापक वृद्धि हुई है।देश की अर्थव्यवस्था पर बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज़ादी के बाद 70 वर्षों में भारत 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना, जबकि पिछले 11 वर्षों में वह पांचवें स्थान पर पहुंच गया है। उन्होंने आशा जताई कि भारत शीघ्र ही विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा।अंत में प्रधानमंत्री ने भगवान श्रीराम के रथ के प्रतीकात्मक उदाहरण का उल्लेख करते हुए कहा कि “विकसित भारत की यात्रा” के लिए शौर्य और धैर्य उसके पहिए होंगे, नीति और सदाचार उसकी ध्वजा होगी, और क्षमा व करुणा उसकी लगाम होंगी। उन्होंने आह्वान किया कि “हमें वो भारत बनाना है जो रामराज्य से प्रेरित हो, जहां स्वयंहित से पहले देशहित सर्वोपरि हो।”



