अमृत विहार न्यूज

आशुतोष मिश्रा
औरंगाबाद (बिहार)
देश में एकलौता है देवकुंड बाबा दूधेश्वरनाथ का मंदिर। जहां काले नीलम पत्थर का शिवलिंग है। जो काफी बड़ा है और इसका कीमत करोड़ों में बताया जाता है। ऐसी दुर्लभ शिवलिंग देश में और कहीं होने की चर्चा नहीं मिलती है। यहां बाबा दूधेश्वरनाथ मंदिर का इतिहास साढ़े पांच हजार साल पुरानी बतायी जाती है। बाहर से मिट्टी और अंदर से पत्थर का मंदिर है। जिसके अंदर बाबा दूधेश्वरनाथ का नीलम पत्थर का शिवलिंग है। इसके साथ ही देवकुंड में सहस्त्रधारा तालाब है। जिसमें डुबकी लगाकर श्रद्धालु इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा करते हैं। देवकुंड के बाबा दूधेश्वरनाथ मंदिर के बारे में कई धार्मिक मान्यताएं हैं। देवकुंड मठ के मठाधीश कन्हैयानंद पूरी बताते हैं कि हजारों वर्ष पहले इस स्थान पर घना जंगल था। जहां चरवाहा अपने गायों की चराने के लिए आते थे। जंगल में एक टीले के पास गाय खड़ी हो जाती थी और उसके स्तनों से स्वतः दूध की धारा बहने लगती थी। यह देखकर चरवाहों ने आसपास में इसकी चर्चा की। जिसके बाद टीले की खुदाई की प्रयास की गई। लेकिन शिवलिंग अंदर धरस्ता गया। बाद में शिवलिंग प्रकट हुआ। उसके बाद से शिवलिंग का नाम बाबा दूधेश्वरनाथ रखा गया। जबकि दूसरी मान्यता है कि भगवान श्रीराम पिंडदान करने गयाजी जा रहे थे। इसी क्रम में देवकुंड रूककर यह शिवलिंग स्थापित किया था। एक अन्य मान्यता यह है कि भगवान विश्वकर्मा ने एक ही रात में देव देवकुंड व उमगा मंदिर का निर्माण किया था। देवकुंड में काफी प्राचीन मंदिर है और इसकी चर्चा शिव पुराण, पदम पुराण व आनंद रामायण में मिलती है।

जानीए क्या है चमत्कारी रत्न नीलम
नीलम एक मूल्यवान पत्थर है। नीलम रत्न बहुत ही शक्तिशाली है। यह गहरे नीले रंग का, हल्के नीले रंग का पारदर्शी, चमकदार और लोचदार होता है। यह शनि का रान है। जिस प्रकार शनि शक्तिशाली और लंबे समय तक असर दिखाने वाला ग्रह है, उसी प्रकार नीलम भी चमत्कारी रल है। नीलम के विषय में कहा जाता है कि इसमें बनाने और बिगाड़ने दोनों तरह की शक्ति होती है। यह किसी को रास आ जाए उसे राजा बना सकता है और अगर यह किसी को अशुभ प्रभाव देने लगे तो राजा को रंक बना देता है।