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बिहार ने अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता सम्मेलन 2025 में वैश्विक कृषि-खाद्य क्षमता का प्रदर्शन किया, चिराग पासवान ने किया उद्घाटन

बिहार के समृद्ध कृषि और खाद्य इको-सिस्टम से 70 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय खरीदारों ने स्रोत अवसरों की पहचान की

अमृत विहार न्यूज

पटना

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय 19 और 20 मई 2025 को बिहार के पटना में कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए), भारतीय व्यापार संवर्धन परिषद (टीपीसीआई) और बिहार सरकार के साथ साझेदारी में अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता बैठक (आईबीएसएम) का आयोजन कर रहा है। इस आयोजन का उद्देश्य व्यापार को बढ़ावा देने, निर्यात को मजबूत करने और बिहार की कृषि-खाद्य क्षमता को उजागर करने के लिए खाद्य और संबद्ध क्षेत्रों के प्रमुख हितधारकों को एक साथ लाना है।

उद्घाटन सत्र में माननीय केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्री चिराग पासवान, बिहार के उपमुख्यमंत्री श्री विजय कुमार सिन्हा, बिहार के माननीय उद्योग मंत्री श्री नीतीश मिश्रा तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, एपीईडीए (एपीडा), टीपीसीआई और बिहार सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

चिराग पासवान व अन्य

इस सम्मेलन में 20 देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले 70 अंतर्राष्ट्रीय खरीदार भाग ले रहे हैं। इनमें छह वैश्विक खुदरा शृंखलाएं शामिल हैं, साथ ही 50 घरेलू और 20 संस्थागत खरीदार भी शामिल हैं। 400 से अधिक क्यूरेटेड बी2बी बैठकों के साथ, यह आयोजन नए बाज़ार संपर्क बनाने, स्थानीय एमएसएमई और एफपीओ के लिए खरीद के अवसरों को बढ़ाने और बिहार की कृषि-शक्ति को निर्यात सफलता में बदलने के लिए तैयार है।

सत्र की शुरुआत एपीडा के अध्यक्ष श्री अभिषेक देव के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने जोर देकर कहा कि आईबीएसएम भारत के कृषि उत्पादकों और प्रसंस्करणकर्ताओं के लिए बाजार तक पहुंच को जोड़ने के लिए निरंतर संस्थागत प्रयासों का परिणाम है। उन्होंने बताया कि जैविक और जीआई-टैग उत्पादों की पहचान क्षमता के लिए 2025 में ‘ट्रेसनेट 2.0’ की शुरूआत जैसी पहल भारतीय उपज की विश्वसनीयता और निर्यात तत्परता को और बढ़ाएगी।

इस बैठक में लूलू ग्रुप (यूएई), सरताज (जापान), दातार एंड संस (यूएई) और ग्लोबल फूड्स ट्रेडिंग (जर्मनी) जैसी वैश्विक कंपनियों ने गहरी दिलचस्पी दिखाई है। ये कंपनियां बिहार से चावल, मसाले, मखाना और फलों की बड़े पैमाने पर खरीद की संभावना तलाश रही हैं। रॉयल गोल्डन ट्रेडिंग (यूएई) और यूवीआर नेचुरल फूड्स (इंडिया) जैसी कंपनियों ने भी ठोस सोर्सिंग योजनाओं की घोषणा की है, जो खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के सक्रिय प्रयासों के तहत बिहार के एक विश्वसनीय सोर्सिंग हब के रूप में उभरने की पुष्टि करती है।

माननीय केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्री चिराग पासवान ने उद्घाटन भाषण में सरकार के “विकसित भारत @2047” के दृष्टिकोण को दोहराया। उन्होंने कहा कि यह अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता सम्मेलन केवल एक व्यापारिक आयोजन नहीं है, यह ग्रामीण समृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि हम बिहार के युवाओं को नौकरी चाहने वाले नहीं, बल्कि नौकरी देने वाले बनाना चाहते हैं। हम सुनिश्चित करेंगे कि हर निवेशक को सरकार द्वारा पूरी सुविधा दी जाए।

बिहार की समृद्ध सभ्यतागत विरासत पर विचार करते हुए केंद्रीय मंत्री ने राष्ट्र को आकार देने में इसके ऐतिहासिक नेतृत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आर्यभट्ट, सीता माता, चाणक्य, भगवान महावीर और भगवान बुद्ध की भूमि होने के नाते बिहार ने हमेशा हमारा मार्गदर्शन किया है। वही क्षमता अब खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास को शक्ति प्रदान करेगी। बिहार की उपजाऊ भूमि और उद्यमशीलता की भावना भारत को वैश्विक खाद्य टोकरी के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने पुष्टि की कि विकसित बिहार का दृष्टिकोण विकसित भारत के दृष्टिकोण से अलग नहीं है – दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।

श्री चिराग पासवान ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में उनके मंत्रालय ने बिहार में सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को पीएमएफएमई योजना के तहत 624.42 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड 10,270 ऋण स्वीकृत किए हैं – जो देश में किसी भी राज्य के लिए सबसे अधिक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह उपलब्धि संयोग नहीं है, बल्कि विकसित बिहार के दृष्टिकोण को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए सरकार के केंद्रित प्रयास का परिणाम है। यह ग्रामीण उद्यम को मजबूत करने के मंत्रालय के संकल्प और बिहार के सूक्ष्म उद्यमियों द्वारा सरकार की नीतियों में रखे गए भरोसे को दर्शाता है।

एक समय था जब नालंदा में दुनिया भर से विद्वान ज्ञान की खोज में आते थे। नालंदा के उसी प्राचीन गौरव के साथ तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार में हाल ही में घोषित राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमशीलता एवं प्रबंधन संस्थान (एनआईएफटीईएम) उस विरासत को आगे बढ़ाएगा। यह उत्कृष्टता का एक आधुनिक केंद्र बन जाएगा, जो खाद्य प्रौद्योगिकी में अनुसंधान, नवाचार और प्रशिक्षण को आगे बढ़ाने के लिए पूरे भारत से प्रतिभाशाली लोगों को आकर्षित करेगा। उन्होंने कहा कि ज्ञान की भूमि से खाद्य में नवाचार का केंद्र बनने तक, बिहार एक बार फिर नेतृत्व करने के लिए तैयार है।

केंद्रीय मंत्री ने सभी हितधारकों को विश्व खाद्य भारत 2025 में भाग लेने के लिए हार्दिक निमंत्रण भी दिया। यह मंत्रालय का प्रमुख वैश्विक कार्यक्रम है और इसमें दुनिया के सामने खाद्य प्रसंस्करण में भारत की ताकत और अवसरों को प्रदर्शित किया जाएगा।

माननीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री ने “भारत के मखाना निर्यात को बढ़ावा देने के लिए रणनीतियां” शीर्षक से एक रणनीतिक रिपोर्ट भी लॉन्च की। इसमें इस अद्वितीय जीआई-टैग उत्पाद में बिहार के नेतृत्व को रेखांकित किया गया।

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