अमृत विहार न्यूज

राष्ट्र आज करगिल विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ मना रहा है। इस अवसर पर, भारतीय सेना ने वर्ष 1999 के करगिल युद्ध के दौरान सैनिकों की वीरता और सर्वोच्च बलिदान का सम्मान करते हुए इसे गंभीरता, गर्व एवं राष्ट्रव्यापी भागीदारी के साथ मनाया। मुख्य कार्यक्रम दो दिनों तक द्रास में करगिल युद्ध स्मारक पर आयोजित किया गया और इसमें श्रम एवं रोजगार तथा युवा कार्य और खेल मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया, रक्षा राज्य मंत्री श्री संजय सेठ, लद्दाख के उपराज्यपाल श्री कविन्द्र गुप्ता व थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी उपस्थित थे। इस अवसर पर वरिष्ठ सैन्य और असैन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की गई तथा शहीदों की स्मृति में 545 दीप प्रज्वलित किए गए। इस मौके पर वीर नारियों और उनके परिजनों का सम्मान किया गया। सेना ने समावेशिता के एक मार्मिक संकेत के रूप में भारत और नेपाल के सभी 545 शहीदों के परिवारों से संपर्क किया। चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने इंडस व्यूपॉइंट, ई-श्रद्धांजलि पोर्टल और क्यूआर-आधारित ऑडियो गेटवे सहित विरासत परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इस दौरान क्षमता प्रदर्शन में गतिशीलता, निगरानी व मारक क्षमता में अत्याधुनिक स्वदेशी प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया गया, जो आधुनिकीकरण और आत्मनिर्भरता की दिशा में सेना के प्रयासों को रेखांकित करता है। सांस्कृतिक प्रदर्शन, धार्मिक प्रार्थनाएं और इंटरैक्टिव आउटरीच कार्यक्रमों ने राष्ट्र की अपने सैनिकों के प्रति अटूट कृतज्ञता तथा गहरे भावनात्मक जुड़ाव को प्रतिबिंबित किया।

करगिल युद्ध स्मारक पर मुख्य कार्यक्रम की शुरुआत पुष्पांजलि समारोह के साथ हुई। माननीय श्रम एवं रोजगार तथा युवा कार्य और खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया; माननीय रक्षा राज्य मंत्री श्री संजय सेठ; लद्दाख के माननीय उपराज्यपाल श्री कविन्द्र गुप्ता और
चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने में राष्ट्र का नेतृत्व किया। उनके साथ वरिष्ठ सैन्य अधिकारी, वीरता पुरस्कार विजेता, वीर नारियां तथा शहीदों के परिवार भी शामिल हुए। “लास्ट पोस्ट” के दिल को छू लेने वाले स्वर घाटी में गूंज रहे थे, जिससे शक्तिशाली भावनाएं और स्मृतियां जागृत हो रही थीं।

जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने अपने मुख्य भाषण में करगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके अटूट साहस एवं बलिदान की सराहना की। उन्होंने 1999 में भारतीय सेना की ऐतिहासिक जीत और हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान राष्ट्रीय संप्रभुता की दृढ़ रक्षा पर विचार व्यक्त किए। जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत शांति चाहता है लेकिन उकसावे की कार्रवाई का निर्णायक जवाब देगा। उन्होंने नागरिकों को नुकसान पहुंचाए बिना आतंकवादी ढांचे के खिलाफ सेना के सफल व सटीक अभियानों का उल्लेख किया। सेना प्रमुख ने ‘रुद्र’ सभी शस्त्र ब्रिगेड, ‘भैरव’ लाइट कमांडो बटालियन, ‘शक्तिबाण’ आर्टिलरी रेजिमेंट और ‘दिव्यास्त्र’ बैटरियां, ड्रोन से सुसज्जित पैदल सेना बटालियन तथा स्वदेशी वायु रक्षा प्रणालियों के माध्यम से सेना को भविष्य के लिए तैयार बल में बदलने की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने राष्ट्रीय निर्माण में सेना की भूमिका की भी सराहना की, विशेष रूप से सीमावर्ती बुनियादी ढांचे, पर्यटन, अर्थव्यवस्था और पूर्व सैनिक कल्याण में तथा 2047 तक विकसित भारत के निर्माण में सैनिकों की स्थायी भूमिका की पुष्टि की। जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने युवाओं से ईमानदारी और समर्पण के साथ राष्ट्र की सेवा करने का आह्वान करते हुए भारत की एकता, संप्रभुता एवं सम्मान की रक्षा के लिए दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ अपने भाषण का समापन किया।
