अमृत विहार न्यूज

धर्म
इस वर्ष आश्विन शुक्ल पक्ष में चतुर्थ तिथि की वृद्धि के कारण शारदीय नवरात्रि 10 दिनों के बजाय 11 दिनों का यह व्रत होगा। नवरानवरात्रि नौ रात्रि का है लेकिन विजयदशमी प्राप्त नवरात्रि ही संपूर्ण माना जाता है। इस वर्ष शारदीय नवरात्र 22 सितंबर को कलश स्थापना के साथ प्रारंभ हो रहा है। जिसका शुभ मुहूर्त सुबह के 10:25 से 12:44 तक होगा। प्रातः काल 07:40 से 09:11 तक राहुकाल विराजमान है, इसलिए राहुकाल में कलश स्थापना सर्वथा वर्जित है। दूसरा मुहूर्त जो कलश स्थापना का है वह दोपहर के 04:31 से 05:59 तक कलश स्थापना हनुमत ध्वजारोपण और माता शैलपुत्री दर्शन एवं दुर्गा सप्तशती के पाठ प्रारंभ किए जाएंगे। 23 सितंबर को ब्रह्मचारिणी माता दर्शन एवं द्वितीय में पटृदोरं केशसंयम कार्यक्रम मां के लिए होगा। वहीं तृतीया के लिए तो तृतीय 24 सितंबर में सिंदूर दान भगवती को चंद्रघंटा देवी का दर्शन सबके लिए होगा। निरंतर दुर्गा सप्तशती पाठ जैसे विद्वान लोग करते हैं वैसे करते रहेंगे। वहीं चतुर्थी को लेकर चतुर्थी तिथि की ही वृद्धि हुई है इसलिए पहले जो चतुर्थी थे वह सूर्य उदय से प्राप्त हो रहा है। इसलिए इस दिन हम चतुर्थी तिथि को 25 सितंबर और 26 सितंबर दोनों दिन चतुर्थी तिथि होगा। लेकिन प्रातः 6:40 के बाद से पंचमी तिथि प्रवेश कर जा रही है। इसलिए विद्वान जन पंचमी तिथि का दुर्गा सप्तशती संकल्प का पाठ करेंगे। चतुर्थी तिथि में कुष्मांडा देवी का पूजन दर्शन और भगवती को मधुपर्क सहित तिलक करेंगे। 27 सितंबर पंचमी तिथि में स्कंद माता पूजन एवं दर्शन बिल्वाभिमंत्रण (बिल्वआमंत्रण) होगा। सायं षष्ठी तिथि मैं बेल वृक्ष को साक्षात दुर्गा मान कर देवी को शयन से जगाने हेतु मंत्रो का बोधन किया जाएगा। षष्ठी स्थिति रविवार को 28 सितंबर को मनाया जाएगा क्योंकि इस दिन मां कात्यायनी देवी दर्शन एवं तपःषष्ठी व्रत होगा। सप्तमी तिथि सोमवार मूल नक्षत्र में जो पर्याप्त प्राप्त हो रहा है। भगवती का मूल नक्षत्र के प्रथम चरण में पट खोला जाएगा जो की मूल नक्षत्र का प्रथम चरण सुबह 07:24 तक प्राप्त हो रहा है सप्तमी 29 सितंबर को मनाया जाएगा। विद्वान अपने समय अनुसार या मूल नक्षत्र के प्रधानता के अनुसार मां का पट खोलेंगे और 09 पत्रिका प्रवेश पूजन एवं महानिशा पूजा रात्रि 11:36 से 12:26 शेष रात्रि संपन्न होगा क्योंकि अगले दिन रात्रि में अष्टमी तिथि नहीं मिल रहा है। अष्टमी तिथि मंगलवार 30 सितंबर को महा अष्टमी व्रत दुर्गा अष्टमी और अष्टमी व्रत महागौरी दर्शन एवं वस्त्र आदि छत्र चमर सहित देवी पूजन करें। पूर्व षाढा़ नक्षत्र के प्रथम चरण में भगवती सरस्वती पूजन, भगवती श्रीभवानी, अन्नपूर्णा परिक्रमा इत्यादि इसी दिन संपन्न होगी। नवरात्रि बुधवार 01 अक्टूबर को प्राप्त हो रहा है। यह दिन में 2:36 तक प्राप्त हो रहा है नवमी में हवन का कार्यक्रम एवं व्रत पारायण इत्यादि एवं हवन संपन्न होगा। अगले दिन 02 अक्टूबर को विजयदशमी, नीलकंठ दर्शन सबके लिए मान्य होगा। साथ ही श्रवण नक्षत्र में भगवती का विसर्जन सबके लिए मंगलकारी होगा।



