अमृत विहार न्यूज

गौतम उपाध्याय
औरंगाबाद। गोह
गोह प्रखंड मुख्यालय स्थित जेपी सेनानी अरविंद पाण्डेय के आवासीय परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन कथा व्यास आचार्य राजू रंजन मिश्रा ने आध्यात्मिक ज्ञान और भक्ति–रस से ओत–प्रोत प्रवचन प्रस्तुत किया। कथा स्थल श्रद्धा और भक्ति के वातावरण से परिपूर्ण रहा, जहां सैकड़ों भक्तों ने भागवत कथा का श्रवण किया।आचार्य मिश्रा ने अपने प्रवचन में कहा कि श्रीमद्भागवत केवल ग्रंथ नहीं है, यह भगवान श्रीकृष्ण का साक्षात रूप है। जब भक्त इसका सच्चे मन से श्रवण करता है, तो उसके भीतर से काम, क्रोध, मोह और अहंकार का अंधकार मिट जाता है। उन्होंने बताया कि भागवत को केवल सुनना नहीं, बल्कि हृदय में उतारना चाहिए, क्योंकि यही वह अमृत है जो आत्मा को भय और भ्रम से मुक्त करता है।उन्होंने राजा परीक्षित और सुखदेव जी के प्रसंग का उल्लेख करते हुए बताया कि जिस प्रकार देवताओं ने अमृत की तुलना भागवत से की, वहीं सुखदेव जी ने उन्हें यह समझाया कि स्वर्गिक अमृत मनुष्य को अमर तो करता है, परंतु भय से मुक्त नहीं करता, जबकि भागवत श्रवण करने से आत्मा निर्भय और शांत हो जाती है।कथा के दौरान आचार्य ने कहा कि “जब हमारे कर्म ईश्वर को समर्पित होते हैं, तब जीवन में सच्ची शांति आती है।” उन्होंने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे कथा के सिद्धांतों को व्यवहार में उतारें ताकि जीवन में भक्ति और करुणा बनी रहे। मौके पर दर्जनों लोगों ने कथा का श्रवण किया।



