अमृत विहार न्यूज

पटना
बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. गिरीश कुमार चौधरी ने कहा कि “जीवों की संरचना प्रकृति प्रदत्त इंजीनियरिंग का अदभुत नमूना है”।टी पी एस कॉलेज, पटना के रसायन विज्ञान और भौतिकी विभाग, भारतीय फोटोबायोलॉजी सोसाइटी के सहयोग से आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह में कही। उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग जो कि मेरा कार्यक्षेत्र है वह विज्ञान और गणित के शोध को प्रयोग करते हुए मानव और पर्यावरण के विकास में उपयोगी है। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का विषय है “रिसेंट एडवांसमेंट इन बेसिक एप्लाइड एंड मैटेरियल साइंसेज -2025 (अभिनव प्रगति बुनियादी, अनुप्रयुक्त और सामग्री विज्ञान RABAMS-2025) ”

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इसके पश्चात दूसरा तकनीकी सत्र आयोजित किया गया, जिसमें विशेषज्ञों ने अपने शोध प्रस्तुत किए। उद्घाटन सत्र: इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. गिरीश कुमार चौधरी, अध्यक्ष, बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग (BSUSC) ने अपने उद्बोधन में कहा, “विज्ञान और गणित के सिद्धांतों का उपयोग कर विश्व को प्रगति प्रदान की जाती है, जो इंजीनियरिंग का कार्यक्षेत्र है। इंजीनियरिंग के सिद्धांतों को जैविक विज्ञानों में भी उपयोग किया जाता है। प्रकृति के कई कार्य इंजीनियरिंग के अद्भुत नमूने हैं। मैं शिक्षकों से आग्रह करता हूँ कि पीएचडी छात्रों को मार्गदर्शन करते समय उन्हें शोध अंतराल (Research Gap) ढूंढने और साहित्य समीक्षा (Literature Review) करने की शिक्षा दें। इस संगोष्ठी का उद्देश्य तकनीकी सूचनाओं का आदान-प्रदान है।” प्रो. उपेंद्र प्रसाद सिंह, कुलपति, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय ने कहा, “इस संगोष्ठी का उद्देश्य शोध वैज्ञानिकों को एक मंच प्रदान करना है, जहाँ वे अपने चल रहे शोध को प्रस्तुत कर आपसी संवाद स्थापित कर सकें। इसका विषय अपने आप में भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान को एकीकृत दृष्टिकोण के साथ जोड़ता है। यह विकसित भारत के लक्ष्यों को पूरक करने में सहायक सिद्ध होगा।” प्रो. संजय कुमार, कुलपति, LNMU ने अपने संबोधन में जोर दिया, “इस संगोष्ठी में प्रायोगिक और सैद्धांतिक दोनों पहलुओं पर चर्चा होनी चाहिए। यह मिश्रित दृष्टिकोण आज के शोध परियोजनाओं की आवश्यकता है।” प्रो. तपन कुमार शांडिल्य, प्राचार्य, टी.पी.एस. कॉलेज ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा, “अर्थशास्त्र के विद्वान एडम स्मिथ ने अर्थशास्त्र को भी विज्ञान कहा है। विज्ञान एक अद्भुत परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और डेटा साइंस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। नैनो विज्ञान और बायोटेक्नोलॉजी अक्षय ऊर्जा के स्रोत बन गए हैं, जो पर्यावरण से जुड़े हैं। यह संगोष्ठी नई संभावनाओं का मार्ग प्रशस्त कर रही है।” प्रो. नरेंद्र कुमार पांडेय, भौतिकी विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय और इस सत्र के प्रथम संसाधन व्यक्ति ने कहा, “एप्लाइड मटेरियल साइंस को उद्योग तक पहुंचाना हमारा लक्ष्य है। हम अकादमिक क्षेत्र के माध्यम से प्रशिक्षित मानव शक्ति को बड़े शोध संस्थानों तक प्रदान करते हैं। हम समाज को प्रत्यक्ष उत्पाद नहीं, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से उत्पाद बनाने वाली मानव शक्ति प्रदान करते हैं।” डॉ. सुशोभन पलाधि, संयोजक ने कहा, “यह संगोष्ठी वैज्ञानिक नवाचार और सहयोग को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण मंच है। हमने सतत विकास के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया है।” डॉ. देबारती घोष, सह-संयोजक ने विषय प्रवेश करते हुए कहा, “आज हर विषय एक-दूसरे से संबंधित है। इसलिए, हमने सतत विकास के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए इस कार्यक्रम में हर क्षेत्र के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया है।” प्रो. रूपम, IQAC समन्वयक ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सभी सम्मानित अतिथियों का आभार व्यक्त किया और कॉलेज की विकास यात्रा में उनके योगदान की सराहना की। उन्होंने विशेष रूप से पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलपति के प्रति आभार व्यक्त किया, जिनके सहयोग से कॉलेज में स्नातकोत्तर अध्ययन शुरू हुआ।

तकनीकी सत्र
:दूसरे तकनीकी सत्र में प्रो. नरेंद्र कुमार पांडेय, लखनऊ विश्वविद्यालय ने धातु के ऑक्साइड में परिवर्तन लाकर हाइड्रोजन गैस सेंसिंग की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। प्रो. रमानंद राय, BHU ने क्रोमियम आयन के डिटेक्शन में ग्रीन सिंथेसिस के महत्व पर अपने विचार प्रस्तुत किए। प्रो. मोहम्मद लुकमान हकीम चौधरी, IIT पटना ने ग्रीन सिंथेसिस के विभिन्न आयामों पर चर्चा की। वहीं, डॉ. मनोरंजन कर, IIT पटना ने नैनो जनरेटर के माध्यम से विद्युत ऊर्जा संचयन (Electric Energy Harvesting) के तरीकों से प्रतिभागियों को परिचित कराया। इस अवसर पर विभिन्न कॉलेजों के प्राचार्य और प्रोफेसर उपस्थित थे, जिनमें प्रो. मनोज कुमार, प्रो. संतोष कुमार, प्रो. हेमलता सिंह,(कॉलेज निरीक्षक ) प्रो. कृष्णनंदन प्रसाद( कॉलेज निरीक्षक), प्रो. विजय कुमार सिन्हा, प्रो. विजय लक्ष्मी (प्राचार्य, गंगा देवी कॉलेज), प्रो. कल्पना साही (HOD, रसायन विज्ञान, PPU), प्रो. श्यामल किशोर (प्राचार्य, रामेश्वर दास कॉलेज, मुजफ्फरपुर), डॉ. धर्मराज राम (प्राचार्य, डी बी कॉलेज, मधुबनी) प्रो. बिपिन कुमार (प्राचार्य, आर आर कॉलेज, मोकामा), प्रो. मुकेश कुमार, आदि शामिल थे। इस अवसर पर संगोष्ठी के एक स्मारिका का अनावरण किया गया। सेंट्रल बैंक के प्रबंधक ने सभी सम्मानित अतिथियों को विशेष रूप से सम्मानित किया। इस अवसर पर अंकित तिवारी, शिवम पराशर , प्रो अंजलि, डॉ उषा किरण, डॉ ज्योत्स्ना कुमारी, डॉ शशि प्रभा दुबे, डॉ शशि शेखर सिंह,डॉ नूतन कुमारी, डॉ दीपिका, डॉ प्रीति कुमारी, डॉ प्रशांत कुमार, डॉ मुकुंद कुमार, डॉ सुनीता कुमारी, डॉ विनय भूषण कुमार, डॉ हंस कुमार सिंह, डॉ उमेश कुमार, डॉ चंद्रशेखर ठाकुर, मनोज कुमार सिंह, कुमार अमिताभ, दीपक कुमार सिंह,अवनीत भूषण, समेत सभी विभागाध्यक्ष कार्यालय कर्मी और कार्यक्रम का संचालन डॉ. नूपुर ने प्रभावी और कुशलतापूर्वक किया।



