Homeप्रदेशऔरंगाबाद, बिहारभृगुरारी धाम कार्तिक मेला: आस्था, श्रद्धा और परंपरा का अद्भुत संगम

भृगुरारी धाम कार्तिक मेला: आस्था, श्रद्धा और परंपरा का अद्भुत संगम

अमृत विहार न्यूज

गौतम उपाध्याय

औरंगाबाद।गोह

गोह प्रखंड का भृगुरारी धाम कार्तिक मेला अपने आप में काफी महत्वपूर्ण है।
पुनपुन और मदार नदी के संगम तट पर बसा पवित्र भृगुरारी धाम आस्था-विश्वास का एक अनमोल केंद्र है, जहां प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर विशाल मेला लगता है। यह मेला जिले के गोह, हसपुरा और रफीगंज के सीमावर्ती क्षेत्रों के लाखों श्रद्धालुओं को एक साथ लाता है।भृगुरारी धाम का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व अत्यंत गहरा है। मान्यता है कि यह वही तपोभूमि है, जहां महान ऋषि भृगु मुनि ने अपनी साधना की थी और इसी धाम पर भृगु-संहिता नामक प्राचीन ग्रंथ की रचना हुई। कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहां पुनपुन और मदार नदियों के संगम में स्नान का विशेष महत्व है, जिसे मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग माना जाता है।श्रद्धालु इस अवसर पर दिव्य स्नान,दीप दान के साथ-साथ मां नकटी भवानी के प्राचीन मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं। यह मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक उत्सव भी है, जहां स्थानीय हस्तशिल्प जैसे सुथनी, कचरी, सिंघाड़ा, पानी-फल और भेड़ के बाल के कंबल,लकड़ी के फर्नीचर की खरीदारी की जाती है।इस कार्तिक मेले की तैयारी जिला प्रशासन द्वारा पूरी गंभीरता और जागरूकता के साथ की जाती है जिला प्रशासन ने मेले के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा के लिए विशेष इंतजाम किए हैं, जिनमें स्वच्छता, यातायात प्रबंधन और आपातकालीन सेवाएं शामिल हैं।आने वाले श्रद्धालुओं को व्यापक सुरक्षा,आवास,पेयजल, एवं स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें। यह मेला न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ करता है।ऐतिहासिक और प्राकृतिक सुंदरता से ओत-प्रोत भृगुरारी धाम में यह मेला हर वर्ष श्रद्धा और भक्ति की लहरें लेकर आता है।

आस्था और श्रद्धा का पर्व कार्तिक पूर्णिमा 5 नवंबर को मनाया जाएगा

हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र मानी जाने वाली कार्तिक पूर्णिमा इस वर्ष 5 नवंबर, 2025 बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन को देव दीपावली के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि माना जाता है कि इस दिन देवता पृथ्वी पर दीपदान करते हैं। कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 4 नवंबर की देर रात 10:36 मिनट से शुरू होकर 5 नवंबर की शाम 6:48 तक रहेगा।इस दिन श्रद्धालु गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान कर पुण्य कमाते हैं।

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